द गर्ल इन रूम 105–८४
मैंने अपना फ़ोन उनकी तरफ बढ़ा दिया। उन्होंने तुरंत ईमेल पढ़ लिया और मेरा फ़ोन लौटा दिया। सौरभ किचन से लौटा। हम सभी असहज स्थिति में कुछ देर बैठे रहे।
"मैं यहां पर आपका घर बर्बाद करने नहीं आया हूँ, मैंने कहा “अब तो बहुत देर हो चुकी है.' उन्होंने कहा और फोन उठाकर अपने पतिदेव को फोन लगाया।
"घर आइए तो, मिसेज़ सक्सेना ने कहा, और फिर उधर से जवाब मिलने पर उन्होंने कहा, 'नहीं, तुरंत
आइए। मैंने कहा अभी के अभी घर आइए। मुझे आपकी सीनेट मीटिंग की कोई परवाह नहीं। तुम अभी के अभी घर आ रहे हो, विनीत।"
फिर वे मेरी तरफ मुड़ीं।
"क्या चाहते हो तुम?" "सच को जानने में आपकी मदद
"क्या राव तुम्हारे पास प्रूफ है। तुम पहले ही मेरी जिंदगी बर्बाद कर चुके हो।""
मैं उनसे कहना चाहता था कि बर्बाद करने वाला सक्सेना है, मैं नहीं, लेकिन मैंने केवल काम की बात ही "यह भी हो सकता है कि आपके हसबैंड ने ही जारा लोन को मारा हो।'
करने का तय किया।
"क्या विनीतः तुम लोगों का दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया? मेरे हसबैंड अफ़ेयर करना चाह रहे थे? मेरे हसबैंड ने मर्डर किया है?"
प्लीज शांत हो जाइए, मिसेज़ सक्सेना, सौरभ ने कहा, 'और केशव को ध्यान से सुनिए।"
*मैम, उनका एक साफ़ मक़सद था। पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद ज़ारा उन्हें एक्सपोज़ कर
सकती थी। उनके पास मौका था। वे कैंपस में ही रहते थे। वे अपने घर से रात को पैदल चलकर भी हिमाद्रि पहुंच सकते थे। वे जारा के रूम की खिड़की से उसके कमरे में घुसकर उसे मारकर चुपचाप लौटकर आ सकते थे। इससे पहले कि किसी को कुछ पता चलता, वे घर आकर चुपचाप सो सकते थे।'
"आप लोग विनीत के बारे में बात कर रहे हैं। वे आईआईटी और स्टैनफर्ड से पढ़े हैं। आपको लगता है वे ऐसा कर सकते हैं?"
*क्या आपको कभी लग सकता था कि आपके हसबैंड एक पीएचडी स्टूडेंट को सेक्शुअल हैरेस करने की कोशिश कर सकते हैं?" सौरभ ने कहा। इस पर मिसेज़ सक्सेना चुप हो गईं। "मैम, हो सकता है यह आपके लिए बहुत ज़्यादा हो, लेकिन हमें सच को जानना ही होगा।'
"PIT?' क्या आपके हसबैंड उस रात को घर से बाहर निकले भेट इससे पहले कि वे जवाब दे पाती, डोरवेल बजी। मिसेज़ सक्सेना उठीं और दरवाजा खोला। प्रोफेसर सक्सेना लगभग स्लो मोशन में अंदर घुसे।
'व्हॉट द... मुझे और सौरभ को अपने घर में देखकर वे चिल्लाए 'व्हॉट द हेल आर यू डुइंग हियर? तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई कि मेरे घर में आने की ?" मिसेज़ सक्सेना प्रोफ़ेसर सक्सेना के पास गई और इससे पहले कि वे कुछ कर पाते उन्हें एक तमाचा रसीद
कर दिया।
'पम्मी!' प्रोफ़ेसर सक्सेना ने अपने गाल पर हाथ रखते हुए कहा। मिसेज़ सक्सेना ने इसके जवाब में उन्हें दो और थप्पड़ जड़ दिए। एक पंजाबी औरत के गुस्से से बढ़कर कोई
क़यामत नहीं हो सकती है।
'पम्मी, ये लोग झूठ बोल रहे हैं.' प्रोफ़ेसर राक्सेना ने लगभग रोते हुए कहा। 'मैं जानती हूं कि वे झूठ नहीं बोल रहे हैं.' मिसेज़ सक्सेना ने कहा। सौरभ और मैं जाने के लिए उठ खड़े हुए।
"हमारे कुछ और सवाल थे, मिसेज़ सक्सेना, लेकिन हम उनके लिए बाद में आ जाएंगे, मैंने विनम्रता से
"नहीं, रुको,' मिसेज़ सक्सेना ने कहा। मुझसे यहीं और अभी पूछो। विनीत के सामने।
हम फिर बैठ गए। प्रोफ़ेसर सक्सेना गाल पर हाथ लिए खड़े रहे।
'मिसेज़ सक्सेना, आठ फरवरी की रात को आपके हसबैंड कहां पर थे